बच्चों में अवसाद

बच्चों में अवसाद को पहचानना महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर सकता है क्योंकि वयस्कों की तुलना में अक्सर लक्षण और संकेत अलग-अलग दिखाई देते हैं। ध्यान रखने योग्य कई सामान्य संकेतक हैं:


1. **लगातार उदासी या चिड़चिड़ापन**: बच्चे लगातार उदासी, बार-बार रोना या चिड़चिड़ापन, गुस्सा और हताशा प्रदर्शित कर सकते हैं, खासकर छोटे बच्चों में।


2. **रुचि का खत्म होना**: उन गतिविधियों में रुचि या आनंद में उल्लेखनीय कमी आना जो उन्हें पहले पसंद थीं, जैसे दोस्तों के साथ खेलना, खेलकूद, शौक और स्कूल की गतिविधियाँ।


3. **भूख या वजन में बदलाव**: भूख में महत्वपूर्ण बदलाव जिससे वजन में उल्लेखनीय कमी या वृद्धि होती है।


4. **नींद में गड़बड़ी**: सोने में कठिनाई, सोते रहने में कठिनाई या अत्यधिक नींद आना।


5. **थकान या कम ऊर्जा**: लगातार थकान, कम ऊर्जा स्तर या प्रेरणा की कमी।


6. **ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई**: ध्यान केन्द्रित करने, निर्णय लेने या चीजों को याद रखने में परेशानी।


7. **बेकारपन या अपराध बोध की भावनाएँ**: बेकारपन, अपराध बोध या आत्म-दोष की भावनाएँ व्यक्त करना।


8. **शारीरिक शिकायतें**: पेट दर्द, सिर दर्द या अन्य दर्द जैसी शारीरिक बीमारियों की नियमित शिकायतें जिनका कोई स्पष्ट चिकित्सा कारण नहीं है।


9. **अलगाव**: दोस्तों, परिवार और सामाजिक गतिविधियों से दूर हो जाना।


10. **खराब शैक्षणिक प्रदर्शन**: स्कूल के प्रदर्शन में महत्वपूर्ण गिरावट, प्रयास की कमी या स्कूल के काम में अरुचि।


11. **व्यवहार में बदलाव**: आक्रामकता, अभिनय या जोखिम लेने वाले व्यवहार सहित असामान्य व्यवहार प्रदर्शित करना।


12. **मृत्यु या आत्महत्या के विचार**: मृत्यु, मरने या आत्महत्या के बारे में विचार व्यक्त करना। इसके लिए तत्काल ध्यान और हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।


### विशिष्ट उदाहरण


- **सात साल का बच्चा** स्कूल से पहले अक्सर पेट दर्द की शिकायत कर सकता है और उन गतिविधियों में भाग लेने से मना कर सकता है जो उसे पहले पसंद थीं, जैसे दोस्तों के साथ खेलना।


- **बारह साल का बच्चा** चिड़चिड़ापन दिखा सकता है, खाने की आदतों में महत्वपूर्ण बदलाव कर सकता है, ग्रेड के साथ संघर्ष कर सकता है और पारिवारिक बातचीत से दूर रह सकता है।


### अगले कदम


अगर आपको संदेह है कि कोई बच्चा अवसाद का अनुभव कर रहा है, तो निम्नलिखित कदम उठाने पर विचार करें:


1. **बच्चे से बात करें**: बच्चे के पास धीरे से जाएँ और बिना किसी निर्णय के रवैया बनाए रखते हुए उसकी भावनाओं के बारे में पूछें।


2. **किसी पेशेवर से सलाह लें**: बाल रोग विशेषज्ञ, स्कूल काउंसलर या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से मार्गदर्शन लें।


3. **निगरानी और सहायता**: उनके व्यवहार को बारीकी से देखें और भावनात्मक सहायता और समझ प्रदान करें।



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